क्या होती है आचार संहिता? कब लागु होगी,और क्या बदलाओ होंगे, जानें किन-किन चीजों पर लगेगी पाबंदी? सारे सवालो का जवाब.

Code Of Conduct: कब से लागू होगी , जानें किन-किन चीजों पर लगेगी पाबंदी? आम लोगों पर क्या होगा असर.

कब से लागू होगी आचार संहिता:- आदर्श आचार संहिता (Code of conduct) चुनाव आयोग द्वारा चुनावी तारीखों की घोषणा के बाद से ही लागू हो जाती है और जब तक चुनाव की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक रहती है।

 

चुनावी तारीखों की घोषणाओं के साथ लागू हो जाती है आचार संहिता

• स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग द्वारा कुछ नियम बनाए जाते हैं। इन नियमों को आचार संहिता कहते हैं। लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान सभी पार्टियों, नेताओं और सरकारों को इन नियमों का खासतौर पर पालन करना होता है।

• आचार संहिता, जो भारत में एफ.एस.एस.एआई (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) द्वारा नियंत्रित होती है, एक कानून व्यवस्था है जिसे भारत में अचार (अचार) और अन्य संरक्षित भोजन के उत्पादन, बेचने और सुरक्षा के नियम और सुरक्षा प्रदान की जाती है। इसका उद्देश्य खाद्य उत्पाद का सुरक्षित उपभोग और उत्पाद करने में मदद करना है, ताकि लोगों की सुरक्षा और स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा सके।

• आचार संहिता एक प्रकार की कानून व्यवस्था है जो भारत में अचार (अचार) और अन्य संरक्षित भोजन के उत्पादन, बेचने और सुरक्षा के नियम और सुरक्षा सुनिश्चित करती है। यह संहिता स्वास्थ्य और सुरक्षा के उद्देशय से बन गई है, ताकि खाद्य उत्पाद का सुरक्षित उपाभोग और उत्पाद हो सके।


आचार संहिता लागू होते ही सरकारी संपत्तियों से हटेंगे झंडे और बैनर, में होंगे बदलाव

ये होंगे बदलाव आचार संहिता:- 
• सभी सरकारी संपत्तियों से 24 घंटे के अंदर समस्त प्रचार सामग्री पोस्टर, बैनर, पंफ्लेट हटाए जाएंगे। सरकारी कार्यालयों, सभागारों, अधिकारियों के कक्षों में लगी सभी जीवित राजनैतिक महानुभावों की फोटो भी हटेगी। केवल राष्ट्रपति, राज्यपाल की फोटो लगी रह सकती है। लोक संपत्तियों बस स्टैंड, सड़क, सार्वजनिक चौराहों, बिजली के खम्बे, अंडरपास इत्यादि से 48 घंटे के अंदर समस्त प्रचार सामग्री पोस्टर, बैनर, पंफ्लेट हटाए जाएंगे।

• अपने निजी भवन पर बैनर, झंडा, कटआउट इत्यादि प्रतिबंधित नहीं है, बशर्ते भवन स्वामी ने ये काम अपनी इच्छा से किया हो। अधिकतम तीन झंडे लगा सकते हैं। प्रत्याशी भवन स्वामी की लिखित अनुमति के बाद ही निजी भवन पर अपनी प्रचार सामग्री लगा सकता है, जिसकी रिटर्निंग अफसर को जानकारी देनी होगी। नहीं तो 500 रुपये जुर्माना लगेगा।

• ऐसे काम, जिनका टेंडर निकलने के बाद वर्कऑर्डर हो चुका है लेकिन मौके पर भौतिक रूप से काम शुरू न हुआ हो, वह इस दौरान शुरू नहीं किए जा सकते। ऐसे काम जो मौके पर भौतिक रूप से शुरू हो चुके हैं, वह जारी रहेंगे।निजी वाहन पर बिना किसी दबाव झंडा, स्टीकर लगाया जा सकेगा, बशर्ते वह मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन न हो।

• दुपहिया वाहन से प्रचार के लिए आरओ से अनुमति जरूरी होगी, जिस पर एक झंडा लगाने की छूट होगी। ई-रिक्शा, तिपहिया वाहन एवं चौपहिया वाहन पर भी कोई बैनर अनुमन्य नहीं है। यदि ऐसा वाहन वैध प्रचार वाहन है तो उस पर केवल एक झंडा (1×0.5 फीट) अनुमन्य है। वाणिज्यिक वाहनों पर प्रचार सामग्री अनुमन्य नहीं है।

• मतदान वाले दिन मतदाता अपने पोलिंग बूथ से 200 मीटर दूरी तक वाहन ले जा सकते हैं। पोलिंग बूथ के 100 मीटर की दूरी में निर्वाचन संबंधी अधिकारी, कर्मचारियों को छोड़कर अन्य सभी व्यक्तियों का मोबाइल फोन का इस्तेमाल निषिद्ध है।

• किसी भी रैली या जनसभा में उम्मीदवार द्वारा टोपी, मुखौटा, स्कार्फ आदि बांटा जा सकता है, जिसको उम्मीदवार के खर्चे में जोड़ा जायेगा, परंतु साड़ी, धोती, शर्ट आदि बांटे नहीं जा सकते। इसी प्रकार देवी, देवताओं के फोटो वाले स्टीकर, डायरी, कैलेंडर आदि बांटा जाना प्रतिबंधित है। ऐसा किया जाना धारा-171 बी आईपीसी के तहत मतदाता को रिश्वत देने की श्रेणी में आता है।

 

आदर्श आचार संहिता लागू होने से क्या बदलेगा? :- आदर्श आचार संहिता लगने पर सरकार की कार्य क्षमता सीमित हो जाती है, जैसे कि सरकार, सरकारी घोषणा नहीं कर सकती है। इतना ही नहीं, मंत्रियों और अन्य अधिकारियों को किसी भी वित्तीय अनुदान की घोषणा करने या उसके वादे करने से मनाही होती है।

• किसी भी नेता या मंत्री को शिलान्यास करने, लोकार्पण करने या किसी भी प्रकार की परियोजनाओं या योजनाओं को शुरू करने से भी प्रतिबंधित कर दिया जाता।

• आदर्श आचार संहिता (Code of conduct) लागू होते ही राज्यों और केंद्र सरकार के कर्मचारी चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक सरकार के नहीं, बल्कि चुनाव आयोग के कर्मचारी की तरह काम करते हैं।

• आचार संहिता (Code of conduct) लागू होने के बाद सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी ऐसे आयोजन में नहीं किया जा सकता जिससे किसी विशेष दल को फ़ायदा पहुंचता हों।

• सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगला का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता है।

• किसी भी पार्टी, प्रत्याशी या समर्थकों को रैली या जुलूस निकालने या चुनावी सभा करने की पूर्व अनुमति पुलिस से लेना अनिवार्य होता है।

• कोई भी राजनीतिक दल जाति या धर्म के आधार पर मतदाताओं से वोट नहीं मांग सकता है।

ज्यादा पूछे जाने वाले प्रश्न :-

• आदर्श आचार संहिता चुनाव आयोग द्वारा चुनावी तारीखों की घोषणा के बाद से ही लागू हो जाती है और जब तक चुनाव की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक रहती है।

• लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता पूरे देश में लागू हो जाती है। विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य स्तर पर आचार संहिता का पालन करना होता है और उपचुनाव के कोड केवल संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के क्षेत्र में लागू होगा।
• आचार संहिता अक्सर खाद्य सुरक्षा और मानकों के अधीन होती है, लेकिन यह चुनावों में नहीं, बल्कि देश के खाद्य उत्पादन और बाजारों में हर समय लागू होती है। यह नियम खाद्य उत्पादकों को स्थायीता, स्वास्थ्य और सुरक्षा के मानकों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे उन्हें उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य उत्पाद प्रदान करने में मदद मिलती है। चुनावों में यह आम तौर पर विषय नहीं होता है।

• आदर्श आचार संहिता (Code of conduct) की मुख्य तौर पर यह बताया गया है कि चुनाव की प्रक्रिया के दौरान राजनीतिक दलों, उम्मीदवार और सत्ता में रहने वाले दलों को चुनाव प्रचार, बैठकें और जुलूस आयोजित करने, मतदान दिवस की गतिविधियों और कामकाज के दौरान अपना आचरण कैसा रखना है।

• चुनाव प्रचार के दौरान, कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगा, जो आपसी नफरत पैदा कर सकता है या विभिन्न जातियों और समुदायों, धार्मिक या भाषाई के बीच तनाव पैदा कर सकता है। असत्यापित आरोपों या विरूपण के आधार पर अन्य दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना से बचना चाहिए।

• चुनाव प्रचार के लिए धार्मिक स्थानों जैसे मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा या अन्य पूजा स्थलों का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए मंच के तौर पर नहीं किया जा सकता है।  इसके अलावा, वोट हासिल करने के लिए जाति या सांप्रदायिक भावनाओं की अपील नहीं की जा सकती है।

• आदर्श आचार संहिता किसी कानून के तहत नहीं बनी है। दरअसल, यह सभी राजनीतिक दलों की सहमति से बनाई और विकसित हुई है।

• सबसे पहले 1960 में केरल विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के तहत बताया गया था कि पार्टियों और उम्मीदवारों को किन बातों का पालन करना होगा।

• साल 1962 के लोकसभा आम चुनाव में पहली बार चुनाव आयोग ने इस संहिता को सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों में वितरित किया था।

• मतदान के दिन मतदान केंद्र के एक सौ मीटर की दूरी के भीतर वोट आदि के लिए प्रचार करना प्रतिबंधित होता है।

• कोड का पालन न करने से कानूनों और विनियमों का उल्लंघन होता है। इसके लिए शख्स या पार्टी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई या उसकी बर्खास्तगी भी हो सकती है।

• आचार संहिता लागू होने के बाद कोई भी मंत्री अपनी यात्रा को चुनावी प्रचार से नहीं जोड़ सकता है। इसके अलावा चुनाव प्रचार कार्य के दौरान आधिकारिक मशीनरी या कर्मियों का उपयोग भी नहीं करेंगे।

• आदर्श आचार संहिता लागू हो जाने के बाद किसी भी पार्टी या उम्मीदवार के हित को बढ़ाने के लिए आधिकारिक विमान, वाहन आदि सहित किसी भी परिवहन का उपयोग नहीं किया जाएगा।

• आचार संहिता  लागू हो जाने के बाद चुनाव के संचालन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े सभी अधिकारियों/कर्मचारियों के स्थानांतरण और पदस्थापन पर पूर्ण प्रतिबंध लग जाता है। यदि किसी अधिकारी का ट्रांसफर या प्रमोशन आवश्यक समझा जाता है, तो आयोग की अनुमति लेनी होती है।

• चुनावी तारीखों के ऐलान के बाद विशिष्ट क्षेत्र में ऐसी योजना का उद्घाटन/घोषणा प्रतिबंधित होती है।

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